राजसमंद. कुंभलगढ़ टाइगर रिजर्व के लिए गठित एक्सपर्ट कमेटी ने टाइगर रिजर्व के लिए प्रस्तावित कोर-बफर जोन के संबंध में चर्चा करने के लिए उदयपुर स्थित सीसीएफ ऑफिस में बैठक ली। बैठक में संबंधित क्षेत्र के दो डीएफओ के नहीं पहुंचने के कारण चर्चा अधूरी रह गई। इसके चलते अब आगामी दिनों में फिर बैठक की तारीख तय की जाएगी। इसके बाद सरकार को रिपोर्ट भेजी जाएगी। राज्य सरकार की ओर से गठित एक्पर्ट कमेटी के सदस्यों ने पिछले दो दिनों में टाइगर रिजर्व के लिए प्रस्तावित क्षेत्र का दौरा किया। दौरे की रिपोर्ट तैयार करने से पहले शुक्रवार को मुख्य वन संरक्षक उदयपुर कार्यालय में बैठक हुई। बैठक में बताया कि टाइगर रिजर्व का विस्तार राजसमंद, उदयपुर, पाली, ब्यावर और सिरोही जिलों में प्रस्तावित है। इस संबंध में संबंधित क्षेत्र के उपवन संरक्षकों को बैठक में शामिल होना था, लेकिन दो डीएफओ के शामिल नहीं होने के कारण चर्चा पूरी नहीं हो सकी। इसके चलते कमेटी आगामी दिनों में तारीख तय कर फिर से बैठक करेगी। इसके पश्चात राज्य सरकार को रिपोर्ट भेजी जाएगी। वहां से सरकार कोर और बफर जोन तय करेगी। बैठक में सेवानिवृत आइएफएस टी.सी.वर्मा, राजपाल सिंह तंवर, कमेटी के अध्यक्ष मुख्य वन संरक्षक (वन्यजीव) एसआरवी मूर्थि, सीसीएफ सुनील, राजसमंद उपवन संरक्षक सुदर्शन शमा और देहरादून से आयन साधू ऑनलाइन जुड़े और चर्चा की। गौरतलब है कि कमेटी को 31 अक्टूबर तक राज्य सरकार को रिपोर्ट भेजनी है।
सांसद डॉ. रावत ने भी रखी बात
कुंभलगढ़ टाइगर रिजर्व के संबंध में आयोजित बैठक में उदयपुर सांसद डॉ. मन्नालाल रावत भी पहुंचे। सांसद डॉ. रावत ने टीम के सदस्यों से सवाल किया कि प्रस्तावित रिजर्व क्षेत्र में जो परंपरागत परिवार रह रहे हैं, उनमें से भी अधिकांश जनजाति के हैं। उनके हितों का क्या होगा। विस्थापन तो नहीं होगा। इस प्रोजेक्ट की रिपोर्ट सामुदायिक सहभागिता के आधार पर तय होनी चाहिए। कमेटी के सदस्यों ने इन बिंदुओं का परीक्षण कराने के उपरांत ही रिपोर्ट तैयार करने की बात कही।
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