Rajsamand App

राजसमंद क्षैत्र के ताजा समाचार & अपडेट्स
LATEST NEWS

हिमांशु धवल

राजसमंद. प्रदेश में 50 स्थानों पर जल्द ही प्लास्टिक बोतल फ्लेकिंग मशीन लगाई जाएगी। उक्त मशीन प्लास्टिक की बोतल के छोटे-छोटे टुकड़े करेगी, जिससे उसे रिसाइकिल किया जा सकेगा। राजस्थान प्रदूषण नियंत्रण मंडल की ओर से इसके लिए टेण्डर प्रक्रिया जारी है। अधिकांश मशीनें पर्यटन स्थल और धार्मिक स्थलों पर लगाई जाना प्रस्तावित है। राज्य सरकार ने बजट में प्रदेश के सात कलस्टरों में पचास स्थानों पर प्लास्टिक बोतल फ्लेकिंग मशीन लगाने की घोषणा की थी। उक्त घोषणा के तहत बोतल फ्लेकिंग/ रिजर्व वेडिंग मशीन लगाई जाएगी। इसमें पानी की बोतल आदि को डालने पर मशीन उसके तुरंत छोटे-छोटे टुकड़े कर देगी। इन टुकड़ों को फिर से पुन:नवीनीकरण (रिसाइकिल) किया जा सकेगा। राजस्थान प्रदूषण नियत्रंण मंडल की ओर से प्रदेश स्तर पर मशीनें लगाने के लिए, उनकी सार संभाल और संचालन आदि करने के लिए टेण्डर प्रक्रिया जारी है। यह सभी कार्य ठेकदार अथवा फर्म के माध्यम से कराए जाएंगे। राजस्थान प्रदूषण नियंत्रण मंडल इसकी मॉनिटरिंग कर सहयोग करेगा। उल्लेखनीय है कि पर्यटन स्थलों पर सर्वाधिक कचरा प्लास्टिक की बोतलों का होता है। इससे उक्त समस्या का काफी हद तक समाधान हो सकेगा।

जिले में यहां लगेगी मशीन

राजसमंद जिले के नाथद्वारा स्थित श्रीनाथ मंदिर के आस-पास और कुंभलगढ़ फोर्ट में उक्त मशीनें लगाई जानी प्रस्तावित है। इसके लिए राजस्थान प्रदूषण नियंत्रण मंडल के क्षेत्रीय कार्यालय की ओर से नाथद्वारा में नगर पलिका और कुंभलगढ़ फोर्ट के निकट मशीन लगाने के लिए भारतीय पुरातत्व सर्वेक्षण विभाग को पत्र लिखकर अनुमति मांगी गई है। इनकी अनुमति मिलने पर आगे की प्रक्रिया अपनाई जाएगी।

मशीन इस प्रकार करती है काम

फ्लेकिंग मशीन एक औद्योगिक उपकरण है, जिसे मुख्य रूप से प्लास्टिक सामग्री को छोटे-छोटे टुकड़ों (फ्लेक्स) में बदलने के लिए डिजाइन किया गया है। इसका उपयोग प्लास्टिक के पुन: नवीनीकरण की प्रक्रिया में किया जाता है। बड़े प्लास्टिक के टुकड़ों को छोटे फ्लेक्स में काटा जाता है ताकि उन्हें फिर से उपयोग में लाया जा सके या किसी अन्य उत्पाद में बदला जा सके।

इन कलस्टर में यहां पर लगेगी मशीनें

अजमेर संभाग : पुष्कर, आनासागर, दरगाह शरीफ, सोनीजी की नसियां, किशनगढ़ डम्पिंग यार्ड
अलवर-भरतपुर : सरिसका सफारी, अलवर रेलवे स्टेशन, भरतपुर रेलवे स्टेशन, केवलादेव नेशनल पार्क एवं लोहागढ़ फोर्ट
जयपुर संभाग : सांभरलेक टाउन, रामनिवास बाग, नाहरगढ़ जैविक उद्यान, झालाना सफारी पार्क, बिड़ला मंदिर, जवाहर सर्कल, जल महल, अम्बर पेलेस, हवा महल, जयगढ़ फोर्ट, अल्बर्ट हॉल और स्मृति वन
जोधपुर-बीकानेर : मेहरानगढ़ फोर्ट, उम्मेद भवन, मंडोर गार्डन, कायलाना लेक, जसवंत ठाडा, तूरजी का झालरा, जूनागढ़ फोर्ट, करणी माता मंदिर
कोटा संभाग : चम्बल रिवर फंट, रेलवे स्टेशन, सेवन वंडर पार्क, किशोर सागर, खड़े गणेशजी मंदिर
सीकर-झुंझुनूं : खाटू श्यामजी मंदिर, सालासर बालाजी, लक्ष्मणगढ़ फोर्ट, रानी सती मंदिर और सोने-चांदी की हवेली
उदयपुर-चितौडगढ़़ और राजसमंद : पिछोला लेक, फतहसागर, सज्जनगढ़ फोर्ट, जयसमंद लेक, जगदीश टेम्पल, सहेलियों की बाड़ी, चितौडगढ़़ फोर्ट, नाथद्वारा, कुंभलगढ़ फोर्ट, राणा कुंभा पैलेस

नगर पालिका और पुरातत्व विभाग से मांगी अनुमति

जिले के नाथद्वारा और कुंभलगढ़ फोर्ट में फ्लेकिंग मशीन लगाई जानी है। नगर पालिका और फोर्ट के लिए भारतीय पुरातत्व सर्वेक्षण विभाग से अनुमति मांगी गई है। मुख्यालय से ही टेण्डर आदि प्रक्रिया की जा रही है।

प्रदेश में यहां खुलेंगे 40 नए प्राथिमक विद्यालय…जाने कहां खुलेंगे स्कूल

राजसमंद. जिला मुख्यालय पर 70 से अधिक व्यापारिक और व्यवसायिक प्रतिष्ठान संचालित होने के बावजूद सिर्फ 14 व्यवसायिक प्रतिष्ठानों के पास ही फायर एनओसी है। ऐसे में फायर फाइटिंग सिस्टम के अभाव में आग लगने की स्थिति में जनहानि होने से इंकार नहीं किया जा सकता है। इसके बावजूद नगर परिषद की ओर से संबंधित प्रतिष्ठान संचालकों के खिलाफ कोई कार्रवाई नहीं की जा रही है। शहर में संचालित अधिकांश व्यापारिक, व्यवसायिक और कॉम्पलेक्स प्रतिष्ठानों के पास फायर एनओसी नहीं है। इसके बावजूद संबंधित प्रतिष्ठान संचालकों के खिलाफ किसी प्रकार की कार्रवाई नहीं होने से इनके हौसले बुलंद है और इसकी अनदेखी कर रहे हैं। फायर एनओसी के अभाव में कभी भी आग लगने की स्थिति में जान-माल का नुकसान हो सकता है। कई प्रतिष्ठानों में अग्नि शमन यंत्र तक नहीं है। ऐसे में किसी भी कारण से आग लगने की स्थिति में सिर्फ दमकल पर ही निर्भर रहना पड़ता है। इससे कभी भी जनहानि हो सकती है। गौरतलब है कि गत दिनों यूपी के एक हॉस्पिटल में आग लगने से कई बच्चे जिंदा जल गए थे। प्रदेश में भी कई हादसे हो चुके हैं। इन हादसों को रोकने और समय रहते इन पर काबू पाने के लिए सरकार की ओर से भी अब सख्ती की जा रही है। इसके चलते अब सभी प्रतिष्ठानों, कॉम्पलेक्स और फ्लेट्र्स के लिए फायर एनओसी लेना आवश्यक कर दिया है।

शहर में सिर्फ इनके पास एनओसी

जिला मुख्यालय पर आर.के.राजकीय चिकित्सालय सहित पांच चिकित्साल, पांच स्कूल और सिर्फ चार होटल संचालकों ने फायर एनओसी है। जबकि जिला मुख्यालय पर छोटी-बड़ी सहित 10 से अधिक निजी स्कूलें संचालित है। इसी प्रकार चार-पांच कॉलेज, 10 के करीब छोटे बड़े चिकित्सालय, 3-4 काम्पलेक्स और सिनेमा हॉल संचालित है। इसके बावजूद सिर्फ 14 ने ही फायर एनओसी ले रखी है। जानकारों की मानें तो व्यावसायिक-व्यापारिक प्रतिष्ठान जिनकी ऊँचाई 9 मीटर या इससे अधिक है। किसी भी तल पर कुल निर्माण अथवा सकल निर्माण क्षेत्रफल 500 वर्गमीटर से अधिक है को भी फायर एनओसी लेना आवश्यक होता है।

फायर एनओसी की यह प्रक्रिया

स्थानीय नगर निकाय में ऑनलाइन आवेदन करने पर अग्मि शमन दल की टीम संबंधित प्रतिष्ठान का मुआयना करती है। वहां पर लगाए गए अग्नि शमन यंत्र की जांच, अलार्म सिस्टम, पानी के टैंक, सप्लाई के लिए बिछाई गई पाइप लाइन, आवागमन के रास्ते, आग लगने पर बाहर निकलने के रास्ते, उसके लिए लगाए गए चिन्ह और गेट आदि की जांच करती है। इससे संतुष्ठ होने पर ही फायर एनओसी जारी की जाती है। इससे आग लगने की स्थिति में आमजन की जान बच सकती है।

इसलिए होती है आवश्यक

अग्नि अनापत्ति प्रमाण पत्र (एनओसी) स्थानीय नगर निकाय के अग्नि शमन विभाग की ओर से जारी की जाती है। यह लाइसेंस सुनिश्चित करता है कि आवासीय या व्यावसायिक संपत्ति आग प्रतिरोधी है और आग दुर्घटनाओं के कारण संपत्ति और जीवन को नुकसान होने की संभावना नहीं है।

नगर परिषद की ओर से दिए जा रहे नोटिस

नगर परिषद क्षेत्र में व्यवसायिक और व्यापारिक प्रतिष्ठानों को फायर एनओसी नहीं होने पर नोटिस जारी किए जा रहे हैं। कुछ ने आवेदन भी किए हैं। इनकी जांच के बाद फायर एनओसी दी जाएगी। यह सभी के लिए आवश्यक है।

दुर्गेश सिंह रावल, आयुक्त नगर परिषद राजसमंद

प्रदेश में यहां खुलेंगे 40 नए प्राथिमक विद्यालय…जाने कहां खुलेंगे स्कूल

राजसमंद. प्रदेश में प्रारंभिक शिक्षा को मजबूत करने की दिशा में सरकार ने बड़ा कदम उठाया है। प्रदेश के विभिन्न जिलों में नए प्राथमिक विद्यालय खोलने के आदेश जारी कर दिए हैं। इन विद्यालयों के खुलने से प्रदेश में प्रारंभिक शिक्षा में मजबूती मिलेगी। इस संबंध में निदेशक प्रारंभिक शिक्षा ने आदेश जारी कर दिए हैं। जानकारी के अनुसार परिवर्तित बजट घोषणा वर्ष 2024-25 की पालना में प्रदेश में 40 स्थानों पर नवीन राजकीय प्राथमिक विद्याल खोलने की स्वीकृति प्रदान की है। इसमें राजसमंद जिले में भी दो नवीन प्राथमिक विद्यालय खोले जाएंगे। इसमें आमेट ब्लॉक में जाटों की भागल और धनोली में ये विद्यालय खोले जाएंगे।

इस प्रकार लगाए जाएंगे शिक्षक

नए खुलने वाले राजकीय प्राथमिक विद्यालयों में शिक्षण कार्य शुरू करने को लेकर भी निदेशक ने आदेश जारी किए हैं। उन्होंने आदेश में स्पष्ट लिखा है कि सम्बन्धित मुख्य ब्लॉक शिक्षा अधिकारी संबंधित ब्लॉक के रा.प्रा.वि./रा.उ.प्रा.वि., जहां नामांकन की अपेक्षा कार्यरत शिक्षकों की संख्या अधिक है, उन विद्यालयों से अध्यापक लेवल 1 के अधिकतम दो शिक्षक (नामांकन के आधार पर) लगाया जाएगा।

ये रहेंगे प्रमुख शर्तें

विद्यालय सत्र 2024-25 से प्रारम्भ किया जायेगा ।

नवीन खोले जाने वाले विद्यालय में पदों का आवंटन विभाग में उपलब्ध आरक्षित पदों में से स्टाफिंग पैटर्न में निर्धारित मानदण्डानुसार किया जाएगा।

इन विद्यालयों में भवन निर्माण समग्र शिक्षा अभियान, नाबार्ड, एमपीएलएडी अथवा जन सहयोग के माध्यम से कराया जाएगा।

विद्यालय संचालन के लिए राजकीय भवन की उपलब्धता होने तक किसी अन्य सुरक्षित भवन की वैकल्पिक व्यवस्था कर विद्यालय संचालित कराया जाएगा।

प्रदेश में कहां कितने स्कूल खुलेंगे

अलवर में एक, बालोतरा में एक, बाड़मेर में दो, ब्यावर में दो, बीकानेर में चार, चित्तौडगढ़़ में दो, दौसा में एक, दूदू में एक, गंगापुर सिटी में एक, हनुमानगढ़ में एक, जयपुर ग्रामीण में एक, जयपुर नगर में एक, जैसलमेर में चार, जालोर में चार, जोधपुर ग्रामीण में तीन, कोटा में दो, नागौर एक, नीमकाथाना में दो, पाली में एक, फलौदी में एक, राजसमंद में दो, सांचोर में एक, शाहपुरा में एक नवीन प्राथमिक विद्यालय खोला जाएगा।

राजसमंद. सिंचाई विभाग को खारी फीडर को चौड़ा करवाने के लिए करीब 8 से 10 हेक्टेयर जमीन अवाप्त करने की आवश्यकता होगी। इसके साथ ही फीडर को चौड़ा करने का कार्य चरणबद्ध तरीके से किया जाएगा। उक्त कार्य के लिए आज टेण्डर अपलोड किए जाएंगे, जिसे अगले माह के अंत तक खोला जाना प्रस्तावित है। जनवरी के अंत तक काम शुरू करवाने के प्रयास किए जाएंगे। नाथद्वारा स्थित बाघेरी का नाका के ओवरफ्लो होने पर उसका पानी नंदसमंद पहुंचता है। यहां से खारी फीडर के माध्यम से पानी राजसमंद झील में आता है। खारी फीडर को चौड़ा करने के लिए राज्य सरकार ने बजट में 150 करोड़ की घोषणा की है। इसके तहत सिंचाई विभाग की ओर से डीपीआर तैयार कर उसे उदयपुर स्थित जोन और सर्कल ऑफिस भेजा गया। वहां पर उसकी जांच आदि कर उसे जयपुर भेजा गया है। वहां पर डीपीआर की बारीकी से जांच के पश्चात प्रशासनिक और वित्तीय स्वीकृति जारी की गई। उदयपुर स्थित मुख्यालय से तकनीकी स्वीकृति जारी हो गई है। स्थानीय सिंचाई विभाग की ओर से इसके लिए टेण्डर प्रक्रिया जारी है। विभाग की ओर से 28 नवम्बर को टेण्डर अपलोड किए जाएंगे। इसे 27 दिसम्बर को खोला जाना प्रस्तावित है। सब कुछ ठीक ठाक रहा तो अगले साल के प्रथम माह के अंत तक काम शुरू हो सकता है। उल्लेखनीय है कि राज्य सरकार ने खारी फीडर को चौड़ा करने के लिए बजट में घोषणा की है। उसे भी अमली जामा पहनाया जा रहा है। कांग्रेस राज में 80 करोड़ की घोषणा हुई थी, लेकिन यह सिर्फ घोषणा ही बनकर रह गई थी।

दो माह बंद करना पड़ेगा काम

नंदसमंद से राजसमंद झील तक की दूरी 32.40 किमी है। खारी फीडर को चौड़ा करने के काम को 30 माह में पूरा करने का लक्ष्य रखा गया है। खारी फीडर से अमूमन अगस्त और सितम्बर माह में नंदसमंद से राजसंद झील में पानी की आवक होती है। इसके कारण दो माह काम बंद रहेगा। चरणबद्ध तरीके से काम करवाया जाएगा। इसके साथ ही खारी नदी और गोविन्द नाल पर कॉलम के माध्यम से काम करवाया जाना प्रस्तावित है।

पांच दशक से ज्यादा पुरानी खारी फीडर

जानकारों के अनुसार राजसमंद झील को भरने के लिए 1962 से 1968 के बीच खारी जल पूरक योजना बनाई गई थी। इसके तहत ही फीडर का निर्माण करवाया गया था। इससे प्रतिवर्ष झील में पानी की आवक होती है। खारी फीडर पांच दशक से ज्यादा पुरानी होने के कारण कई जगह से क्षतिग्रस्त हो गई है। वहीं कुछ स्थानों पर रिसाव भी होता है। इससे आस-पास के खेतों में पानी भर जाता है।

करनी पड़ेगी भूमि अवाप्त

सिंचाई विभाग के जानकारों के अनुसार वर्तमान में खारी फीडर है उसे दुगना चौड़ा किया जाना प्रस्तावित है। फीडर के आस-पास पहले ही सिंचाई विभाग की जमीन है। कुछ स्थानों पर जमीन अवाप्त करनी होगी। जो 8 से 10 हेक्टेयर के बीच हो सकती है। कुछ जगह पहाडिय़ों को काटना पड़ेगा। कई जगह पुलिया का निर्माण भी करवाया जाएगा।

जल्द अपलोड होंगे टेण्डर, अगले माह जाएंगे खोले

बजट घोषणा के अनुसार खारी फीडर को चौड़ा करने के लिए टेण्डर 28 नवम्बर को अपलोड किए जाना प्रस्तावित है। इसे अगले माह के अंत तक खोला जाएगा। कुछ स्थानों पर जमीन की अवाप्त करनी पड़ेगी। चरणबद्ध तरीके से निर्माण करवाया जाएगा।

प्रतीक चौधरी, एक्सईएन सिंचाई विभाग राजसमंद

राजसमंद. मुख्यमंत्री जन आवास योजना के तहत निर्माणाधीन फ्लेट का काम कछुआ चाल से चल रहा है। उक्त प्रोजेक्ट को चलते हुए सात साल से अधिक हो गए हैं। लेकिन अभी भी 192 फ्लेट के निर्माण कार्य का श्रीगणेश तक नहीं हुआ है, जबकि संबंधित ठेकेदार फर्म मार्च 2025 तक काम पूरा करने का दावा कर रही है। शहर के देवथड़ी पुलिस लाइन के पीछे मुख्यमंत्री जन आवास योजना के तहत 1072 मकानों का 2017 में शिलान्यास हुआ था। जानकारों के अनुसार निर्माण कार्य फरवरी 2021 में पूरा होना था, लेकिन कोरोना के कारण समय सीमा को बढ़ाकर 31 अक्टूबर 2022 कर दी थी। संबंधित ठेकेदार फर्म ने 288 मकानों के निर्माण कार्य को अधूरा छोड़ दिया। इसके पश्चात कई माह तक काम पूरी तरह से बंद रहा। सितम्बर 2023 में नई ठेकेदार फर्म ने फिर से काम शुरू किया। अगस्त 2024 तक उक्त काम को पूरा किया जाना था, लेकिन अभी तक 192 फ्लेट का निर्माण के लिए अभी तक नींव तक नहीं खुदी है। वर्तमान में आधे फ्लेट्र्स का काम भी पूरा नहीं हुआ है, जबकि नगर परिषद के अधिकारियों को संबंधित फर्म की ओर से मार्च 2025 तक काम पूरा करने के लिए आश्वस्त किया है, जबकि वर्तमान काम की गति को देखते हुए 2025 के अंत तक भी काम पूरा होना मुश्किल दिखाई दे रहा है। आधे-अधूरे काम की वजह से आवंटियों को परेशानी का सामना करना पड़ रहा है।

फैक्ट फाइल

1072 मकानों का करना है निर्माण

640 फ्लेटों का काम हुआ पूरा

240 फ्लेट निर्माणाधीन, काम जारी

192 फ्लेट का काम नहीं हुआ शुरू

44.28 करोड़ का पूरा प्रोजेक्ट

34.14 करोड़ खर्च हो चुके अब तक

77 प्रतिशत काम पूरा, 33 प्रतिशत शेष

एसटीपी का नहीं अता-पता, बोरिंग से चल रहा काम

मुख्यमंत्री जन आवास योजना के तहत बनने वाले फ्लेट से निकलने वाले गंदे पानी को ट्रीट करने के लिए एसटीपी बनाया जाना प्रस्तावित है। यहां पर कई माह पहले इसके लिए गड्ढ़ा खोदा गया था, उसका भी कोई अता-पता नहीं है। फ्लेट्स के बीच सीवरेज लाइन बिछाने का काम जारी है। यहां पर अधिकांश जगह अभी ुपक्के रोड नहीं बने है। इसके साथ ही यहां पर साफ-सफाई की कोई व्यवस्था नहीं है। कई सुविधाएं उपलब्ध कराई जानी है, लेकिन उनका भी कोई अता-पता नहीं है। बोरिंग के पानी से काम चलाया जा रहा है। पाइप लाइन और पानी की टंकी का निर्माण अब तक शुरू नहीं हुआ है।

122 से अधिक आवंटियों ने फेरा मुंह

जानकारों के अनुसार अब तक 122 से अधिक आवंटि उक्त योजना से मुंह फेर चुके हैं। इसमें किसी ने एक किश्त जमा कराई तो किसी ने दो किश्त जमा कराने के बाद शेष किश्त जमा ही नहीं कराई है। नगर परिषद की ओर से इसके लिए कई बार नोटिस भी जारी किए गए, लेकिन किसी के रूचि नहीं दिखाने पर नगर परिषद की ओर से करीब 122 आवंटियों के आवंटन का निरस्त कर दिया है। अब जिनके फ्लेट का निर्माण अब तक शुरू नहीं हुआ है उन्हें आवंटन करने की तैयारी की जा रही है।

100 से अधिक परिवारों ने रहना किया शुरू

आवास योजना के तहत 640 फ्लेट का निर्माण पूरा होने के बाद से कुछ आवंटियों को कब्जा सौंपा जा चुका है। ऐसे में यहां पर अब 100 से अधिक परिवारों ने रहना शुरू कर दिया है। हालांकि इसमें कुछ ने किराए पर फ्लेट ले रखे हैं। दीपावली के बाद से इसमें तेजी आई है। योजना के तहत सुविधाएं पूरी मिलने की स्थिति में इनकी संख्या में और इजाफा हो सकता है।

हाइवे से प्रवेश करना ही मुश्किल

उदयपुर से जयपुर के बीच गुजर रहे हाइवे पर राजसमंद पुलिस लाइन के पास से मुख्यमंत्री जन आवास योजना के तहत निर्माणाधीन फ्लेट्र्स में जाने का मुख्य मार्ग है। वर्तमान में उक्त हाईवे पर सर्विस लाइन का निर्माण जारी है। इसके कारण उक्त रोड को खोद दिया गया है। इसके कारण अब करीब दस फीट से अधिक ऊंचाई हो गई है। ऐसे में पैदल चढऩा मुश्किल हो गया है। उक्त रोड पर रोड लाइटें भी नहीं है। इसके कारण रात्रि के समय आवाजाही मुश्किल हो जाती है।

ठेकेदार से की बात, काम जल्द पूरा करने के दिए निर्देश

मुख्यमंत्री जन आवास योजना के तहत निर्माणाधीन फ्लेट्र्स का काम जल्द गति पकड़ेगा। त्यौहारों के चलते अधिकांश श्रमिक चले गए थे, इसके कारण गति धीमी चल रही है। संबंधित ठेकेदार को बुलाकर अतिरिक्त श्रमिकों को लगाकर काम को जल्द से जल्द पूरा करने के निर्देश दिए गए हैं।

दुर्गेश सिंह रावल, आयुक्त नगर परिषद राजसमंद

राजस्थान के इस शहर में खोले चार उप नगरीय मार्ग…पढ़े क्या होगा फायदा और कैसे

मधुसूदन शर्मा

राजसमंद. एक साथ दो एकेडिमक प्रोग्राम की पढ़ाई करने को लेकर विश्वविद्यालय गंभीर नहीं है। इसको लेकर यूनिवर्सिटी ग्रांट्स कमिशन (यूजीसी) ने चिंता जताई है। जानकारी के अनुसार अप्रैल 2022 में यूजीसी ने दो कोर्स एक साथ करने का फैसला किया था। इसको लेकर सितंबर माह में इसकी गाइड लाइन जारी की। यूजीसी की ओर से जारी की गई गाइडलाइन को दो वर्ष से अधिक समय बीत गया लेकिन अभी तक किसी भी विश्वविद्यालय ने इस दिशा में कदम नहीं बढ़ाया है। इसको लेकर यूजीसी के पास लगातार इस संदर्भ में शिकायतें आ रही है। ऐसे में विद्यार्थियां को दो कोर्स में एक साथ एडमिशन नहीं मिल पा रहा है।

ये वजह आ रही सामने

एडमिशन नहीं दिए जाने के बाद एक बात सामने आ रही है। वो ये की कभी माइग्रेशन सर्टिफिकेट जमा करवाने की बात की जाती है तो कभी स्कूल लीविंग सर्टिफिकेट न होने का कहकर एडमिशन करने से इनकार कर दिया जाता है। जिसके कारण विद्यार्थियां को परेशानियों का सामना करना पड़ रहा है। इस मामले की गंभीरत को देखते हुए यूजीसी के सचिव प्रफेसर मनीष आर जोशी ने विश्वविद्यालयों को पत्र लिखा है। उन्होंने देश में इन संस्थानों से स्पष्ट कहा है कि एक ऐसी व्यवस्था करनी होगी कि छात्र को दो कोर्स में दाखिला लेने में परेशानी ना हो।

… तो कामयाब नहीं होगा यूजीसी का मकद

यूजीसी ने स्पष्ट किया है कि यदि माइग्रेशन सर्टिफिकेट न होने पर छात्र को दूसरे कोर्स में दाखिला नहीं दिया जाता है, तो दो डिग्री कोर्स का मकसद कामयाब नहीं हो पाएगा। इसके बावजूद विश्वविद्यालय प्रशासन दो वर्ष से ज्यादा समय बीतने पर भी इस गाइडलाइन को लागू नहीं किया है। इसको लेकर यूजीसी प्रशासन बेहद गंभीर है।

विश्वविद्यालयों को चेताया

विश्वविद्यालय अनुदान आयोग (UGC) ने यूनिवर्सिटीज को आगाह किया है कि राष्ट्रीय शिक्षा नीति (एनईपी 2020) के तहत लागू किए जा रहे शिक्षा सुधारों को लागू करना ही होगा। विश्वविद्यालयों को चेतावनी भी दी है कि यदि वे ऐसा हनीं करते हैं तो उनकी लापरवाही मानते हुए उनसे जवाब-तलब किया जाएगा।

एक ही समय एक साथ किए दोनों ही कोर्स वैध रहेंगे

महत्वपूर्ण बात यह है कि इस व्यवस्था के साथ एक ही समय एक साथ किए दोनों ही कोर्स वैध रहेंगे। अभी तक की व्यवस्था में ऐसा नहीं था। एक समय में एक ही कोर्स वैधता थी। साथ ही उसे ही करने की अनुमति थी। आस्ट्रेलिया, अमेरिका सहित दुनिया के दूसरे देशों के उच्च शिक्षण संस्थान पहले से ही ऐसे कोर्स संचालित कर रहे हैं। गौरतलब है कि यूजीसी ने इससे जुड़ा ड्राफ्ट अप्रैल में ही जारी किया था, जिसे बाद में शिक्षा मंत्रालय ने मंजूरी दी थी।

2012 की गई थी पहल, बताई थी ये समस्या

एकसाथ दो डिग्री पूरा करने का ये मुद्दा पहली बार नहीं उठा है। इससे पहले 2012 में भी यूजीसी ने एक कमेटी बनाई थी। इस कमेटी की अध्यक्षता हैदराबाद यूनिवर्सिटी के वीसी फुरक़ानक़मर कर रहे थे। उन्होंने यूजीसी को दिए सुझाव में कहा गया था कि रेगुलर मोड में पढ़ाई कर स्टूडेंट को एक अतिरिक्त डिग्री लेने की छूट होनी चाहिए। दूसरी डिग्री ओपेन या डिस्टेंस मोड में उसी या किसी दूसरी यूनिवर्सिटी से भी हो सकती है। लेकिन एक साथ रेगुलर मोड में दो डिग्री पूरी करने की अनुमति नहीं दी जा सकती। इससे एकेडमिक और एडमिनिस्ट्रेटिव, दोनों तरह की समस्याएं हो सकती हैं। उस समय इन सुझावों को ज्यादा समर्थन नहीं मिल पाया था। इसलिए इस गाइडलाइन पर काम नहीं हो सका था। 2019 में एक समिति बनाई थी। इस समिति का काम ये पता करना था कि अलग-अलग यूनिवर्सिटी में या फिर एक ही यूनिवर्सिटी में, ऑनलाइन या डिस्टेंस मोड या पार्ट टाइम मोड में किस तरह से एकसाथ दो डिग्री पूरी की जा सकती है।

राजसमंद. महाराणा प्रताप से जुड़े ऐतिहासिक स्थलों पर लाखों रुपए खर्च कर बनाए टॉयलेट पर लगे ताले आखिरकार खोल दिए गए हैं। पत्रिका में खबर प्रकाशित होने के बाद भारतीय पुरातत्व सर्वेक्षण अधिकारियों ने स्थलों का मुआयना किया और कार्मिकों को टॉयलेट चालू करने के निर्देश दिए। शाहीबाग व चेतक समाधि स्मारक पर बने टॉयलेट मंगलवार को चालू कर दिए गए। भारतीय पुरातत्व सर्वेक्षण (एएसआई) के उदयपुर उपमंडल के संरक्षण सहायक दीपक मीणा व अन्य ने सोमवार को बादशाही व चेतक समाधि स्मारक परिसर में बनकर तैयार टॉयलेट का निरीक्षण किया, जिन पर कई महीनों से ताले लगे हुए थे। एएसआई अधिकारी ने हल्दीघाटी व खमनोर में संरक्षित स्मारकों व उद्यान में कार्यरत कार्मिकों को टॉयलेट चालू करने के निर्देश दिए। मंगलवार को पुरातत्वकर्मियों ने बादशाही बाग व चेतक समाधि स्मारक परिसर में बने टॉयलेट के ताले खोलकर साफ-सफाई की। पानी के प्रबंध किए और टॉयलेट पर्यटकों के लिए खोल दिए। हालांकि रक्ततलाई में अभी भी पर्यटकों के लिए टॉयलेट की सुविधा शुरू नहीं हो पाई है। बताया गया कि रक्ततलाई व शाहीबाग उद्यान परिसर में 10 साल पहले लाकर रखे गए फाइबर से बने रेडिमेड टॉयलेट अवधि पार होने से उपयोगी नहीं रहे हैं। ऐसे में इन टॉयलेट का उपयोग होने की संभावना कम ही है।

उल्लेखनीय है कि पत्रिका ने ऐतिहासिक स्थलों पर पर्यटकों के लिए बने टॉयलेट पर ताले लगे होने पर 24 नवंबर 2024 को ‘टॉयलेट बनाने में लाखों खर्च, क्या ताले खोलने में भी लगेंगे रुपए!’ शीर्षक से समाचार प्रकाशित किया था। उसके बाद एएसआई अधिकारी हरकत में आए और उन्होंने ऐतिहासिक स्थलों का मुआयना कर टॉयलेट चालू कराने के निर्देश दिए।

पंचायत समितियों को भी जारी किए निर्देश

इधर जिला परिषद के मुख्य कार्यकारी अधिकारी बृजमोहन बैरवा ने भी पत्रिका में प्रकाशित खबर का हवाला देते हुए जिले की सभी पंचायत समितियों के विकास अधिकारियों को निर्देश जारी किए हैं। सीईओ ने सभी बीडीओ को पत्र भेजकर 29 नवंबर 2024 को जिले की उन सभी ग्राम पंचायतों, जिनमें बने सामुदायिक शौचालयों पर ताले लगे हुए हैं और उपयोग में नहीं लिए जा रहे हैं, उन्हें खोलकर चालू करवाने व आमजन के लिए उपयोगी बनाने के निर्देश दिए हैं।

नाथद्वारा. शहरी क्षेत्र में चलने वाली जनतांत्रिक सरकार के मंगलवार को 5 वर्ष पूर्ण होने पर स्थानीय नगर पालिका नाथद्वारा में भी अब जनता के कार्याें में जनप्रतिनिधियों की बजाय प्रशासन के द्वारा कार्य का संपादन किया जाएगा। इसको लेकर मंगलवार को दिनभर की कई गतिविधियां चलती रहीं।पालिका बोर्ड के आज 5 वर्ष पूर्ण हो जाने पर राज्य सरकार की ओर से नियुक्त किए गए प्रशासक के अंतर्गत उपखंड अधिकारी ने स्थानीय पालिका पहुंचकर प्रशासक का प्रभार ग्रहण किया। इसके बाद उन्होंने पालिका कार्यालय परिसर का निरीक्षण किया। इस दौरान पालिका अध्यक्ष मनीष राठी के कक्ष काे देखने के बाद वहां पर लगी पालिकाध्यक्ष की नेम प्लेट को भी हटवाया। इसके बाद उनका कार्यालय बंद कर दिया। उन्होंने अधिकारियों को दिशा-निर्देश भी प्रदान किए। इस दौरान पालिका आयुक्त सौरभ जिंदल सहित कार्मिक मौजूद थे।

वर्ष 2019 में हुए थे चुनावस्थानीय नगर पालिका में वर्ष 2019 में हुए चुनाव में 40 वार्ड क्षेत्र में बने पार्षदों के बाद कांग्रेस ने बहुमत के साथ बोर्ड बनाया था और मनीष राठी को पालिकाध्यक्ष एवं श्यामलाल गुर्जर को उपाध्यक्ष बनाया गया था। बोर्ड गठन के अंतर्गत 26 नंवबर 2019 को पालिकाध्यक्ष के चुनाव हुए थे, जिसकी मंगलवार को 5 वर्ष की अवधि समाप्त होने पर सोमवार को राज्य सरकार के द्वारा संबंधित पालिका में प्रशासकों की नियुक्यतयां की गई। इसके साथ ही पालिका में पिछले पांच साल से कार्यरत जनप्रतिनिधियों यानि चुने हुए वार्ड पार्षदों एवं पालिका बोर्ड का कार्यकाल समाप्त हो गया।

शहर में भी रही खासी चर्चायूं तो नाथद्वारा पालिका में राजनीतिक उठापठक सदैव चलती ही रहती है। इसी कड़ी में लंबे अंतराल के बाद यहां पर प्रशासक की नियुक्ति होने से राजनीतिक गलियारों में भी खासी चर्चा है कि कांग्रेसनीत पालिका बोर्ड के समाप्त हो जाने के बाद राज्य में सत्तासीन भाजपा के चलते यहां पर अब कुछ बदलाव और नए समीकरण बनने चाहिए। ऐसे में पिछले एक साल में कांग्रेस भाजपा के बीच चले उठापठक के दौर में अब सत्ता पक्ष अपनी भूमिका को किस तरह से निभाकर जनता को राहत पहुंचाएगा यह देखने वाली बात होगी। राठी दिखे चर्चा में मशगूलपालिकाध्यक्ष से निवर्तमान अध्यक्ष हुए मनीष राठी मंगलवार को अपने एक मित्र के यहां पर बैठकर कांग्रेस नगर अध्यक्ष दिनेश जोशी, पूर्व पार्षद विनोद बोहरा के साथ चर्चा करते दिखाई दिए। बताया कि राठी पालिका कार्यालय भी गए, परंतु वे वहां कार्यालय में नहीं जाकर कुछ देर में ही वापस लौट आए।

नोटिफाईड एरिया कमेटी भी रह चुकीस्थानीय नगर पालिका के गठन के बाद यहां पर वर्ष 1977 से लेकर 1994 तक के लंबें अंतराल तक नोटिफाईड एरिया कमेटी का गठन किया जाकर भी पालिका का संचालन हुआ था। ऐसे में उसके बाद इस बार लगभग 30 साल के बाद फिर प्रशासक के रूप में पालिका का संचालन होगा।

राजसमंद. प्रदेश के सरकारी स्कूल काफी समय से व्याख्याताओं के अभाव में परेशानी झेल रहे हैं, लेकिन कुछ समय बाद इस परेशानी से निजात मिलने वाली है। क्योंकि पदोन्नति कर व्याख्याता स्कूलों में लगाए जाएंगे जिससे इनकी कमी की पूर्ति होगी। जानकारी के अनुसार प्रदेश में राज्य के उच्च माध्यमिक स्कूलों में वर्तमान में व्याख्याता के 17550 पद रिक्त चल रहे हैं। इनकी डीपीसी कर इनको पदोन्नत किया जाएगा। जिससे स्कूलों में व्याख्याताओं के रिक्त पदों में कमी आएगी। गौरतलब है कि प्रदेश के सरकारी स्कूलों में कार्यरत 10530 सैकण्ड ग्रेड शिक्षकों की व्याख्याता पदों पर पदोन्नति की गई है। हाल ही में आरपीएससी अजमेर में वर्ष 2021-22 और वर्ष 2022-23 की डीपीसी के लिए बैठक आयोजित की थी। इसमें 10530 सैकंड ग्रेड शिक्षकों की डीपीसी की गई है।

आरपीएससी से अनुमोदन के बाद जारी होंगे आदेश

जानकारी के अनुसार आरपीएससी की ओर से इनका अनुमोदन किया जाएगा। यहां से अनुमोदन किए जाने के बाद सूची माध्यमिक शिक्षा निदेशक के पास जाएगी और वहां से इनके चयन आदेश जारी किए जाएंगे। व्याख्याता पदों के अलावा 88 उपाचार्य, 485 प्रधानाध्यापक, 24 उप जिला शिक्षाधिकारी, 20 पुस्तकालय अध्यक्ष ग्रेड-1 इसके अतिरिक्त 663 शारीरिक शिक्षक और 93 पुस्तकालय अध्यक्ष शामिल है। डीपीसी में प्रमोट हुए व्याख्याता के पदस्थापना के बाद इनमें से 10 हजार से अधिक पद भर पाएंगे।

चार साल से बकाया चल रही थी डीपीसी

जानकारी के अनुसार व्याख्याता पदों की पिछले 4 साल की डीपीसी बकाया है। इसके लिए लगातार शिक्षक संगठनों की ओर से मांग उठाई जा रही थी। इसी को ध्यान में रखते हुए विभाग ने वर्तमान में दो वर्षों की डीपीसी की है। लेकिन दो वर्ष की अभी भी बाकी रह गई है। जिसका भी शिक्षकों को इंतजार बना हुआ है। इधर पदोन्नत सभी कार्मिकों को शीघ्र ही पदस्थापन किए जाने की प्रक्रिया भी शुरू की जाएगी।

…तो भर जाएंगे 87 प्रतिशत पद

राज्य के स्कूलों में व्याख्याताओं के 55340 पद स्वीकृत हैं। जिसमें से वर्तमान में 31 प्रतिशत पद काफी समय से रिक्त चल रहे हैं। डीपीसी में पदोन्नत हुए 10 हजार व्याख्याताओं को पोस्टिंग दिए जाने के बाद सिर्फ 13 प्रतिशत ही रिक्त रहेंगे। इसे भी दो साल की शेष रही डीपीसी को करके पदों को पूरा भर दिया जाएगा। इस दिशा में सरकार की ओर से कार्य किया जा रहा है।

ADVERTISEMENT