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प्रदेश के इस जिले में दस माह में 17 पैंथरों की हुई मौत…पढ़े क्या रहे कारण

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राजसमंद. राजसमंद वन विभाग के अन्तर्गत आने वाले क्षेत्रों में इस वर्ष अब तक 17 पैंथरों की मौत हो चुकी है, जबकि 25 पैंथरों को रेस्क्यू कर छोड़ा जा चुका है। सर्वाधिक पैंथरों की मौत आपसी संघर्ष और दुर्घटनाओं में हुई है। पैंथरों की संख्या लगातार बढ़ रही है। वन विभाग के अन्तर्गत आने वाले क्षेत्र में पिछले कुछ वर्षो से पैंथरों की संख्या लगातार बढ़ रही है। जिले में डम्पिंग यार्ड पैंथरों के सुरक्षित स्थान बन गए हैं। बारिश के कारण यहां पर पानी भर जाता है। इसके आस-पास ही शिकार के लिए जानवर मिल जाते हैं। इसके कारण पैंथरों के लिए मुफीद स्थान बन गए है। इसके चलते इनकी संख्या बढऩे के कारण आपसी संघर्ष में तेजी आई है। इसमें इस वर्ष में अब तक चार पैंथरों की मौत हो चुकी है। वहीं छह पैंथरों की प्राकृतिक मौत भी हुई है। उल्लेखनीय है कि इस वर्ष दो वर्ष बाद वन्यजीव गणना हुई है। इसमें 253 पैंथर सामने आए है, जबकि जानकारों की मानें तो इससे दो गुना पैंथर बताए जा रहे हैं।

यहां हुई पैंथरों की मौत

नाथद्वारा के बेरण में छर्रे वाली बंदूक से पैंथर का शिकार किया गया था। इसी प्रकार राजसमंद के केलवा में सडक़ दुर्घटना में, भीम के बड़ाखेड़ा में उपचार के दौरान, राजसमंद के सापोल में बिजली का करंट लगने से, आमेट में आपरी संघर्ष में, झीलवाड़ा के थुरावड़ में आपसी संघर्ष में, नाथद्वारा के देलवाड़ा में आपसी संघर्ष में, भीम के जस्साखेड़ा में आपसी संघर्ष में, राजसमंद श्रीजी हॉस्पिटल के सामने सडक़ दुर्घटना में, राजसमंद के सुंदरचा में प्राकृतिक मौत से, कुंभलगढ़ के आरेट में प्राकृतिक, झीलवाड़़ा के डार की वेर में प्राकृतिक, राजसमंद के मेड़तिया में प्राकृतिक, करमाल के जोजावर में प्राकृतिक, नाथद्वारा के गाराखाना में कुंए में गिरने से, नाथद्वारा के रजियाघाटी में सडक़ दुर्घटना में और झीलवाड़ा अंटालिया बीड की भागल में नर पैंथर की प्राकृतिक मौत हो चुकी है।

वन विभाग ने यहां से किए रेस्क्यू

वन विभाग के अनुसार कुंभलगढ़ के मजेरा से पैंथर को रेस्क्यू किया गया। इसी प्रकार नाथद्वारा के गाररेचों का गुडा से, झीलवाड़ा के जनावद से, राजसमंद के पुलिस लाइन से, नाथद्वारा के मेनपुरिया से, राजसमंद मानदेह राछेड़ी से, मानदेह राछेड़ी से, बोखाड़ा के भानपुरा में, राजसमंद के झोर से, नाथद्वारा के गोडवा से तीन को, फुलाद के जोजावर सिरियारी से, नाथद्वारा की झाला की मदार से, राजसमंद के भाणा से, झीलवाड़ा के कालागुमान से, नाथद्वारा से सुखाडिय़ा नगर, राजसमंद से, झीलवाड़ा के लाखावतों का गुड़ा, राजसमंद के भूडान से, राजसमंद से धर्मेटा मोरवड़ से, राजसमंद के गुगलेटा से, राजसमंद की पीपलांत्री से, राजसमंद से भूडान से और नाथद्वारा के गुंजोल से पैंथर को रेस्क्यू कर जंगल में छोड़ा गया।

फैक्ट फाइल

17 पैंथरों को एक जनवरी से 30 सितम्बर तक हुई मौत

25 पैंथरों को एक जनवरी से 30 सितम्बर तक किया रेस्क्यू

132 कुंभलगढ वन क्षेत्र में वन्यजीव गणना में दिखे

91 रावली- टॉडगढ़ वनक्षेत्र में वन्यजीव गणना मेें

30 पैंथर वन विभाग के अन्य वॉटर हॉल पर दिए दिखाई

इस साल अब तक 17 पैंथरों की हुई मौत

इस वर्ष अब तक 17 पैंथरों की मौत हुई है और 25 को रेस्क्यू किया गया है। पैंथर के हमले में कई पशुओं की भी मौत हुई है। उन्हें विभाग के नियमानुसार मुआवजा दिया जाता है।

सुदर्शन शर्मा, उपवन संरक्षक वन विभाग राजसमंद

October 27, 2024

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