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मात्र 20 मिनट में लूटकर ले गए इस चीज का ढेर..पढ़े पूरी खबर

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चारभुजा. चारभुजा में दीपावली पर्व के दूसरे दिन अन्नकूट महोत्सव धूमधाम से मनाया गया। इस दौरान बाहर से अन्नदान करने वाले श्रद्धालुओं का सेवा-भाव दर्शनार्थियों को भाव-विभोर कर गया। प्रभु चारभुजा जी के प्रति श्रद्धा व आस्था के भाव के साथ श्रद्धालु इस महोत्सव में पहुंचे और अन्न व मिठाई धरा कर सेवा का लाभ लिया। महोत्सव को देखने काफी संख्या में भीड़ रही। महिला-पुरुषों ने पहले से ही बरामदे, छतों पर बैठकर अपनी जगह आरक्षित कर ली। अन्न धराने से पहले चारभुजा जी के सामने वाले पाण्डाल को शुद्ध पानी से धोया गया। चारों तरफ बंदनवार बांधे गए। आम्र व आशापाले के पत्तों से सजावट की गई। अन्न धराने की जगह पर केले के पत्ते बिछाए गए। अन्नकूट के चारों ओर सुरक्षित घेरा बना दिया गया। चारभुजा जी की कसार आरती होने के बाद ठीक 4 बजे देवस्थान सिपाही ने तोप दाग। इसके साथ सेवादारों द्वारा देवस्थान कचहरी से चावल, चवले के साथ मिठाइयां छाबडो में भरकर लाने का क्रम चालू हो गया। अन्नकूट धराने का सिलसिला 1 घंटे तक चला। इसमें मालपुए, बादाम, दाख, पिस्ता, मावे की मिठाइयां, दहीबड़ा, जलेबी, घी, लड्डू, शक्कर, लापसी, इमरती के अलावा 56 तरह के व्यजंनों को अन्नकूट में धराया गया। वहीं, अन्नकूट में 25 क्विंटल चावल, दो क्विंटल चवला के साथ व्यंजन पधराए गए। अन्नकूट का ढेर लगने के बाद उसके चारों ओर व्यंजनों के थाल सजाए गए। गन्ने, कद्दू की सब्जी सजाई गई।

गाजे-बाजे के साथ निकाली रेवाड़ी

सभी तैयारियां पूरी होने के बाद रेवाड़ी वाले विष्णु राजावत की ओर से निज मंदिर से गाजे-बाजे के साथ बाल प्रतिमा को श्रृंगार के साथ अन्नकूट का भोग धराने के लिए लाया गया। बाल प्रतिमा के दर्शनों के लिए श्रद्धालु पहले से ही लालायित हो रहे थे, जिन्होंने खूब जयकारे लगाए। बाल प्रतिमा को अन्न के ढेर की परिक्रमा कराई। छड़ीदार मांगीदास द्वारा आरती का थाल सजाकर आरती की गई। अन्न के ढेर के चारों ओर बछडी की परिक्रमा कराई गई। कुछ समय के लिए बाल प्रतिमा को चांदी की पालकी को अन्नकूट के बीच धराया तथा भोग रस्म अदा की। पुन: बाल प्रतिमा को गर्भ ग्रह में प्रतिस्थापित किया गया। इस बीच भील समुदाय के सदस्य मुख्य द्वार पर पहले से ही तैयार थे, जो शाम 5.15 बजे देवस्थान के सिपाही द्वारा तोप दागने के साथ ही मुख्य द्वार का दरवाजा खुलने पर अन्न के ढेर को लूटने के लिए टूट पड़े और 20 मिनट में भील समुदाय ने अन्न के ढेर को लूट लिया। झोलियां भरकर चारभुजा जी मंदिर के अंदर पहुंचे, जहां वर्ष में एक बार अंदर जाकर दर्शन करने का लाभ लिया। वहीं, श्रद्धालुओं ने भी अन्नकूट का प्रसाद लिया।

मंदिर में रही विशेष व्यवस्था

मंदिर की परंपरा अनुसार माली समाज, रसोईदारों की व्यवस्था करता है, छड़ीदार कद्दू व सब्जियां काटने के काम के साथ ही मिठाई बनाने का जिम्मा लेता है। अन्नकूट के बाद प्रसाद वितरण किया गया। भीड़ को देखते हुए पुलिस की माकूल व्यवस्था रही। वहीं, रोकडिया हनुमान मंदिर पर भी अन्नकूट महोत्सव मनाया गया।

राजस्थान के इस प्रसिद्ध मंदिर में आदिवासी सबके सामने लूटकर ले जाते हैं यह चीज… पढ़े पूरी खबर

November 3, 2024

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