राजसमंद. चारभुजा तहसील का सबसे बड़ा सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्र अब भी समस्याओं के बीच फंसा हुआ है। 10 वर्ष पहले प्राथमिक स्वास्थ्य केंद्र से सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्र में तब्दील होने के बाद भी, यहां डॉक्टरों की स्थाई नियुक्ति नहीं हो पाई है। नतीजतन, गंभीर मरीजों को राजसमंद या उदयपुर रेफर किया जा रहा है। दो साल पहले सीएचसी के नए भवन का निर्माण कार्य पूरा हो चुका था, लेकिन उद्घाटन के अभाव में यह भवन वीरान पड़ा हुआ है और इसकी मशीनें जंग खा रही हैं। फिलहाल, दो अस्थाई डॉक्टर अस्पताल में तैनात हैं, जिनमें से एक डॉक्टर अवकाश पर और दूसरा प्रशासनिक कार्य में व्यस्त रहता है, जिससे अस्पताल में मेडिकल सेवाएं देने में कमी महसूस हो रही है।
सीएचसी नर्सिंग अधिकारी के भरोसे
स्थिति इतनी गंभीर है कि सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्र का संचालन अब एकमात्र नर्सिंग अधिकारी के भरोसे है, जो जल्द ही सेवानिवृत्त होने वाले हैं। स्थानीय नेताओं की राजनीतिक असमर्थता के कारण न तो अस्पताल का उद्घाटन हो पाया है और न ही डॉक्टरों की स्थाई नियुक्ति की जा रही है। इस समस्या के समाधान की मांग को लेकर लोक अधिकार मंच के अध्यक्ष सोहनलाल गुर्जर और सरपंच धर्मचंद सरगरा ने मुख्यमंत्री, चिकित्सा मंत्री और क्षेत्रीय विधायक सुरेंद्र सिंह राठौड़ को पत्र लिखा है।
यहां प्रतिदिन होता 60 से 70 मरीजों का इलाज
चारभुजा सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्र के अंतर्गत पांच प्राथमिक स्वास्थ्य केंद्र और छह उपस्वास्थ्य केंद्र संचालित हैं। बावजूद इसके, गंभीर मरीजों को डॉक्टरों की कमी के कारण रेफर किया जाता है। प्रतिदिन 60 से 70 मरीजों का इलाज इस केंद्र पर होता है, लेकिन डॉक्टर की कमी के चलते मरीजों को भटकना पड़ता है।