राजसमंद। नगर परिषद राजसमंद की ओर से गणगौर महोत्सव के अंतिम दिन गुलाबी गणगौर पर मेले के सांस्कृतिक मंच पर आयोजित अखिल भारतीय कवि सम्मेलन में देश के विभिन्न हिस्सों से आए रचनाकारों ने ऐसा बेहतरीन रचनापाठ किया कि काव्यरसिक श्रोता तड़के तक पांडाल में जमे रहने को मजबूर होते हुए तालियों की गर्माहट से कवियों का उत्साहवर्धन करते रहे।
कवि सम्मेलन का शुभारंभ रचनाकार दीपिका माही ने सरस्वती वंदना की प्रस्तुति के साथ किया। इसके बाद कवि संपत साथी ने अपनी रचनाओं की प्रस्तुति से कवि सम्मेलन की शुरुआत की। मध्यप्रदेश के उज्जैन से आए कवि हिमाशुं बवंडर ने पहले बुजुर्ग खांस देते तो बहुएं कमरे से बाहर नहीं निकलती थी और आज बहुएं खांस दे तो बुजुर्गों को वृद्धाश्रम जाना पड़ता है…, कविता का पाठ करते हुए आज के समय में बुजुर्गों के प्रति युवाओं की उदासीनता पर कटाक्ष करते हुए सोचने पर मजबूर कर दिया। इसके साथ ही उन्होंने बेटे और बेटियों में अंतर को लेकर छोरा या झाले साफ करने के लिए ही हैं या…, रचना के माध्यम से श्रोताओं को खूब लोटपोट भी किया। उन्होंने झील का ना ओर छोर जित देखूं तित ओर चिड़िया को चुराती है हिलोर रजथान की…, कविता के माध्यम से राजस्थान की माटी को नमन करते हुए यहां की खूबियों को बयां किया। वहीं, उत्तरप्रदेश के औरैया से आए कवि अजय अंजाम ने उत्तरप्रदेश की धरती से हल्दीघाटी को नमन करते हुए महाराणा प्रताप के प्रिय घोड़े चेतक पर कविता सुनाते हुए मेवाड़ की यशोगाथा का गान करते हुए श्रोताओं में जोश भर दिया। उन्होंने मुगलिया काल में जलालुदीन अकबर के गाल पर कमाल के चांटे सा पड़ा था युद्ध हल्दी की घाटी में वीर की परिपाटी में मेवाड़ की माटी में मौत सा अड़ा था युद्ध… एवं जिस ओर निकल जाता था चेतक उस ओर श्मशान दिखाई देता था…, रचना पेश करते हुए महाराणा प्रताप और भारत माता के खूब जयकारे लगवाए। राजसमंद की रचनाकार नीतू बाफना ने नजर में है नजाकत अभिमान संग रखती हूं जुबां पर शायरी के संग स्वाभिमान रखती हूं…, रचना सुनाकर खूब वाह-वाही लूटी।
इसी तरह मुंबई से आए हास्यरस के कवि दिनेश बावरा ने हमारे जमाने टूजी, थ्रीजी नहीं हुआ करता था उस समय में गुरुजी हुआ करते थे, जिनके एक ही थप्पड़ में हम नेटवर्क पकड़ लेते थे…रचना के माध्यम से आज के हालात को श्रोताओं के समक्ष रखा और इसके बाद उन्होंने आगे बढ़ते हुए आज की दुनिया को खतरा चीन, पाकिस्तान और इजराइल से नहीं मोबाइल से है…, रचना सुनाकर मोबाइल के दुरुपयोग और इससे होने वाले नुकसान पर सुधि श्रोताओं को सोचने पर मजबूर कर दिया। कोटा से आए वीर रस के रचनाकार राजेन्द्र गौड़ ने देशभक्ति की रचना भारत मां को गाली दी जो शीश उतारा जाएगा…सुनाकर श्रोताओं में देशभक्ति का जोश भर दिया। वहीं, दुनिया में भगवा आतंकवादी रंग नहीं हो सकता…रचना सुनाकर भगवा को आतंकवादियों का रंग बताने वालों के मुंह पर तमाचा मारते हुए श्रोताओं की खूब वाह-वाही लूटी, जिस पर खूब जयकारे भी लगे।