मधुसूदन शर्मा
राजसमंद. यात्रियों की सुविधाओं को ध्यान में रख लाखों रुपए से तैयार किया गया राजनगर का रोडवेज बस स्टैण्ड बदहाल है। यहां पर सुविधाएं होकर भी इसका लाभ नहीं उठा रहे हैं। हालत तो ऐसे हैं कि सरकार की ओर से संचालित अन्नपूर्णा रसोई के राशन के कटटे यात्री प्रतीक्षालय में पड़े हैं। ऐसे में यहां यात्रियों के बैठने तक की सुविधा नहीं है। ऐसे में यात्री बाहर ही भटकते नजर आते हैं। कहने को तो रोडवेज बस स्टैण्ड का बड़ा भवन है, लेकिन धीरे-धीरे ये भवन अब धूल फांकने लगा है। यहां खिड़कियां, कांच टूट रहे हैं, लेकिन इस सरकारी संपति पर ध्यान देने वाला कोई नहीं है। सबसे रोचक बात तो ये है कि डिपो पर कार्यरत कर्मचारियों के लिए टिकट का काउंटर तैयार है, लेकिन कार्मिक बाहर बैठकर यात्रियों की टिकट काटते हैं। ऐसे में इन काउंटर का भी उपयोग नहीं हो रहा है। गौरतलब है कि पहले इस बस स्टैण्ड का शिलान्यास वर्ष 1997 में किया गया था। इसके बाद पूरे बस स्टैण्ड को नए सिरे से 2017 तैयार किया गया। इस पर लाखों रुपए खर्च किए गए। इस दौरान तैयार किया गया शिलापट्ट प्रतीक्षालय में धूल फांक रहा है। ये पूरी संपत्ति नगरपरिषद की है। इन्होंने ही रोडवेज डिपो के लिए स्थान दिया है, लेकिन इस पर नगर परिषद प्रशासन की ओर से भी ध्यान नहीं दिया जा रहा है।
सुविधाओं से भरपूर कैसे आए नूर
राजनगर बस स्टैण्ड पर यात्रियों के लिए भरपूर सुविधाएं है। यहां पर यात्रियों के बैठने के लिए बड़ा बरामदा और ह़ॉल भी बना हुआ है। साथ ही उपर भी एक बड़ा हॉल है। लेकिन ये किसी काम नहीं आ रहे हैं। यहां परिसर में बनी दो दुकानों का आवंटन नगरपरिषद की ओर से अन्नपूर्णा रसोई के लिए किया हुआ है। लेकिन रसोई संचालकों ने अनाज के लिए रोडवेज डिपो प्रतीक्षालय को गोदाम बना लिया है। ऐसे में डिपो प्रबंधन को भी खासी परेशानियों का सामना करना पड़ रहा है।
रोडवेज की आधी रह गई आय
बताया जा रहा है कि एक समय रोडवेज की बसों का संचालन फव्वारा चौक से होता था। जहां पर प्रतिदिन 16-17 हजार रुपए की आय प्रतिदिन होती थी। अब यह घटकर 6-7 हजार रह गई है। रोडवेज बसों की संख्या में भी वृद्धि होने के बाद ये िस्थति है। रोडवेज प्रशासन की मानें तो प्रतिदिन यहां से 30-35 रोडवेज बसों की आवाजाही है।
इन रूट पर चलती है बसें
राजगनर बस स्टैण्ड से उदयपुर, राजनगर, देवगढ़, भीम, ब्यवार, अजमेर, जयपुर और हरिद्वार, चित्तौड़गढ़ सहित दूर क्षेत्रों के लिए यहां से बसों का आवागमन है, लेकिन इसके बावजूद ये बस स्टैण्ड सा नजर नहीं आता है। इस बस स्टैण्ड पर शाम पांच बजे बाद बसों का आवागमन बंद हो जाता है। इस समय के बाद आने वाली बसें सीधे हाइवे से गुजर जाती है। जिनमे सफर करने के लिए यात्रियों को हाइवे पर इंतजार करना पड़ता है।
फैक्ट फाइल
– 79.43 लाख की लागत से हुआ निर्माण
– 2017 में राजनगर बस स्टैण्ड का शिलान्यास
– 30 से अधिक बसों की प्रतिदिन की आवाजाही
हॉल में पंखे तक नहीं
राजनगर रोडवेज बस स्टैण्ड पर बनाया गया हॉल तो आलीशान है। लेकिन यहां पर
पंखे नहीं है। अब हॉल की हालत तो ऐसी है कि जैसे काफी समय से इसकी साफ-सफाई नहीं की गई हो। यही नहीं बिजली के तार निकले पड़े हैं। हॉल में खिड़कियों की हालत दयनीय होने लगी है। पेडि़यों पर लगे दरवाजे के कांच तक नहीं है।
रोडवेज का गजब तर्क
घाटे की मार झेल रहे रोडवेज की बदहाल िस्थति को सुधारने की दिशा में सरकार की ओर से निरंतर प्रयास किए जा रहे हैं, लेकिन स्थानीय स्तर पर इस पर ध्यान नहीं दिया जा रहा है। राजनगर रोडवेज बस स्टैण्ड पर काम कर रहे कर्मचारियों ने बताया कि काउंटर पर इसलिए नहीं बैठते की संवारियां बस आते ही सीधे चढ़ जाती है, टिकट नहीं लेती है। ऐसे में काउंटर छोड़कर बाहर बैठना पड़ता है। ऐसा नहीं करने पर डिपो को आय नहीं होगी।
इनका कहना है
हमें तो केवल नगर परिषद प्रशासन की ओर से सुविधा प्रदान की गई है। ये नगरपरिषद की ओर से बनाकर दिया हुआ बस स्टैण्ड है। टिकट के लिए यहां पर एजेंट लगा रखे हैं।
महेश उपाध्याय, आगार प्रबंधक, राजसमंद