राजसमंद. महाराणा प्रताप से जुड़े ऐतिहासिक स्थलों पर लाखों रुपए खर्च कर बनाए टॉयलेट पर लगे ताले आखिरकार खोल दिए गए हैं। पत्रिका में खबर प्रकाशित होने के बाद भारतीय पुरातत्व सर्वेक्षण अधिकारियों ने स्थलों का मुआयना किया और कार्मिकों को टॉयलेट चालू करने के निर्देश दिए। शाहीबाग व चेतक समाधि स्मारक पर बने टॉयलेट मंगलवार को चालू कर दिए गए। भारतीय पुरातत्व सर्वेक्षण (एएसआई) के उदयपुर उपमंडल के संरक्षण सहायक दीपक मीणा व अन्य ने सोमवार को बादशाही व चेतक समाधि स्मारक परिसर में बनकर तैयार टॉयलेट का निरीक्षण किया, जिन पर कई महीनों से ताले लगे हुए थे। एएसआई अधिकारी ने हल्दीघाटी व खमनोर में संरक्षित स्मारकों व उद्यान में कार्यरत कार्मिकों को टॉयलेट चालू करने के निर्देश दिए। मंगलवार को पुरातत्वकर्मियों ने बादशाही बाग व चेतक समाधि स्मारक परिसर में बने टॉयलेट के ताले खोलकर साफ-सफाई की। पानी के प्रबंध किए और टॉयलेट पर्यटकों के लिए खोल दिए। हालांकि रक्ततलाई में अभी भी पर्यटकों के लिए टॉयलेट की सुविधा शुरू नहीं हो पाई है। बताया गया कि रक्ततलाई व शाहीबाग उद्यान परिसर में 10 साल पहले लाकर रखे गए फाइबर से बने रेडिमेड टॉयलेट अवधि पार होने से उपयोगी नहीं रहे हैं। ऐसे में इन टॉयलेट का उपयोग होने की संभावना कम ही है।
उल्लेखनीय है कि पत्रिका ने ऐतिहासिक स्थलों पर पर्यटकों के लिए बने टॉयलेट पर ताले लगे होने पर 24 नवंबर 2024 को ‘टॉयलेट बनाने में लाखों खर्च, क्या ताले खोलने में भी लगेंगे रुपए!’ शीर्षक से समाचार प्रकाशित किया था। उसके बाद एएसआई अधिकारी हरकत में आए और उन्होंने ऐतिहासिक स्थलों का मुआयना कर टॉयलेट चालू कराने के निर्देश दिए।
पंचायत समितियों को भी जारी किए निर्देश
इधर जिला परिषद के मुख्य कार्यकारी अधिकारी बृजमोहन बैरवा ने भी पत्रिका में प्रकाशित खबर का हवाला देते हुए जिले की सभी पंचायत समितियों के विकास अधिकारियों को निर्देश जारी किए हैं। सीईओ ने सभी बीडीओ को पत्र भेजकर 29 नवंबर 2024 को जिले की उन सभी ग्राम पंचायतों, जिनमें बने सामुदायिक शौचालयों पर ताले लगे हुए हैं और उपयोग में नहीं लिए जा रहे हैं, उन्हें खोलकर चालू करवाने व आमजन के लिए उपयोगी बनाने के निर्देश दिए हैं।