राजसमंद. जिले में रबी की फसलों की बुवाई के लिए खेत तैयार है, लेकिन डीएपी नहीं मिलने के कारण काश्तकार परेशान है। एक-दो दिन पहले निजी दुकानों पर डीएपी आया था, लेकिन हाथों-हाथ उठ गया। इसके कारण किसान फिर से इंतजार करने को मजबूर है। कुछ किसान अब एसएसपी और यूरिया से काम चला रहे हैं। जिले में इस बार मानसून की अच्छी बारिश हुई है। इसके कारण कुएं और जलाशयों में पानी भरपूर है। इसके साथ ही राजसमंद झील से निकलने वाली दायीं और बायीं नहरें खोल दी गई है। इसके चलते किसानों को बुवाई के लिए खेत तैयार करने के लिए पानी दिया जा रहा है। ऐसे में किसानों ने खेत तो तैयार कर लिए, लेकिन बुवाई के काम आने वाला डीएपी नहीं मिलने के कारण किसान क्रय विक्रय सहकारी समितियों के चक्कर काट रहे हैं, लेकिन किसी के पास कोई जवाब नहीं है कि डीएपी कब आएगा। इसके कारण वह निराश होकर वापस लौट रहे हैं। वहीं कुछ काश्तकारों ने एसएसपी और यूरिया को मिलाकर डीएपी की जगह काम लेना शुरू कर दिया है। उल्लेखनीय है कि जिले में बुवाई का दौर अक्टूबर के अंतिम सप्ताह से शुरू हो जाता है। इस बार जिले में 62 हजार हेक्टेयर में बुुवाई का लक्ष्य निर्धारित किया है। इसमें से अब तक करीब 22 हजार हेक्टेयर में बुवाई हुई है।
जिले में तीन जगह आया, अधिकांश जगह खत्म
जानकारों की मानें तो नाथद्वारा, राज्यावास और कांकरोली में एक-दो दिन पहले डीएपी पहुंचा। लेकिन अधिकांश जगह डीएपी खत्म हो गया है। कांकरोली स्थित दुकान पर शुक्रवार को डीएपी की लम्बी लाईनें लगी हुई थी, लेकिन वहां पर भी डीएपी खत्म होने से आज सन्नाटा पसर गया। वहीं कृषि विभाग के अधिकारियों का दावा है कि जिले में 164 एमटी डीएपी है, जबकि जमीनी हकीकत इससे बिल्कुल अलग है। इसी प्रकार 1300 एमटी एसएसपी और 3500 एमटी यूरिया जिले में बताया जा रहा है। कृषि विभाग के अधिकारियों के अनुसार आगामी दो से तीन दिन में 200 एमटी से अधिक डीएपी पहुंचने की उम्मीद है।
नहरों से पानी की निकासी जारी
राजसमंद झील से निकलने वाली दायीं और बायीं नहर से करीब 10,500 हेक्टेयर में सिंचाई होती है। गत दिनों जल वितरण समिति की बैठक में दायीं नहर और बायीं नहर को एक बार रेलणी और तीन बार सिंचाई के लिए नहरें खोलने पर सहमति बनी थी। इसके चलते नहरों से पानी की निकासी जा रही है। आगामी दिनों में बुवाई में तेजी आएगी।
नहीं मिला डीएपी, अब एसएसपी से चलाएंगे काम
काश्तकार किशनाराम ने बताया कि डीएपी के लिए कई बार चक्कर लगाए लेकिन वह नहीं मिला। इसके चलते अब एसएसपी और यूरिया को मिलाकर बुवाई करेंगे। इसी प्रकार जालम भील ने बताया कि सनवाड़, कांकरोली सहित कहीं पर भी डीएपी नहीं मिला और बुवाई का समय निकलता जा रहा है। इसके कारण अब एसएपी और यूरिया खरीदने आए हैं। इससे ही बुवाई की जाएगी।
राजस्थान के इस थाने में दर्ज पिछले पांच साल में एक भी चोरी का नहीं हुआ खुलासा