Rajsamand App

राजसमंद क्षैत्र के ताजा समाचार & अपडेट्स

November 10, 2024 3:14 am

+91 8003859602

सात पहाडिय़ों के पार सीम माता की आस्था आपार, वर्ष में एक बार सोने के रंग जैसी नजर आती है पहाड़ी

इस ख़बर को सुनने के लिए 👇"Listen" पर क्लिक करें

भैरूलाल कुमावत

आमेट. उपखण्ड मुख्यालय से 10 किमी की दूरी पर देवगढ़ मार्ग पर टिकर गांव के कमेरी चौराहे से सात पहाडियां पार करने के बाद ही माता के दर्शन होते हैं। ये मंदिर जन-जन की आस्था का अनूठा केन्द्र है। जमीं से 2 किमी की ऊंचाई पर विराजीत सीम माता के चमत्कार से हर कोई वाकिफ है। इसलिए ये मंदिर आस्था का केन्द्र बना हुआ है। कमेरी गांव के ठाकुर चावण्ड सिह चूंडावत ने बताया कि मान्यता है कि यह मंदिर 1 हजार वर्ष पूर्व इनके पूर्वजों की ओर से बनवाया गया था। इस मंदिर पर जाने के लिए श्रद्धालु 7 पहाडियां पार करनी पड़ती है। इसके बाद माता के दर्शन हो पाते हैं। पौराणिक काल से इस मंदिर में पहुंचने के लिए तीन अलग-अलग दिशाओं से रास्ते बने हुए हैं। जिसमे दो पगडंडी तथा एक मुख्य मार्ग है।

ठाकुर परिवार की रक्षा

जब भारतवर्ष में मुगल काल का शासन था तथा पूरे देश में मुगलों की ओर से हिंदू राजाओं पर अत्याचार एवं उनकी रियासत पर हमले किए जा रहे थे। ऐसे में ठाकुरों ने अपनी आराध्य देवी सीम माता की पूजा-अर्चना की। जिससे प्रसन्न होकर सीम माता ने अपना चमत्कार दिखाते हुए ठाकुर परिवारों की युद्ध में सहायता कर उनकी रक्षा की। सीम माताजी के यहां चैत्र एवं शारदीय नवरात्रा में 9 दिनों तक हजारों की संख्या में श्रद्धालुओं का तांता लगा रहता है।

गुर्जर परिवार के सदस्य करते हैं पूजा-अर्चना

गुर्जर परिवार के सदस्यों की ओर से सीम माताजी की पूजा-अर्चना की जाती है। वर्तमान में बियाना निवासी भगवानलाल गुर्जर, नारायण लाल गुर्जर के द्वारा नित्य पूजापाठ किया जा रहा है। नवरात्रा के दौरान ठाकुर चावण्ड सिह चूंडावत, सरपंच अर्जुनसिंह,लालसिंह, देवीसिंह,गणपत सिह,देवीलाल गुर्जर, सुभाष शर्मा, देवीलाल शर्मा, मोहनलाल शर्मा, शंभुसिंह, देवीलाल गुर्जर, रतन नाथ, रणजीत सिंह, लाडूराम गुर्जर, मीठालाल सेन, उदयनाथ, लहरीलाल गुर्जर, आगूलाल गुर्जर, देवीलाल भील, द्वारा पूजा अर्चना में विशेष सहयोग रहता है।

माताजी के मंदिर द्वार पर आए हर श्रद्धालुओं की मुराद हुई पूरी

मान्यता है कि वर्ष में एक बार धनतेरस के दिन कुछ पलो के लिए पूरी पहाड़ी का रंग सोने जैसे दिखने लगता है। अनेक लोगों ने यह चमत्कार अपनी आंखों से देखा भी है। श्रद्धालु अपने धार्मिक कार्यों के साथ ही बीमारी का निदान के लिए भी माताजी के यहां पहुंचते हैं। उनके आशीर्वाद से कोई भी श्रद्धालु यहां आने के बाद खाली हाथ नहीं गया। माताजी किसी न किसी रूप में आकर उसके बिगड़े कार्य को पूरा जरूर करती है।

मंदिर से लगती है पांच गांवों की सीमाएं

माताजी के मंदिर में आस-पास के 5 गांवों की सीमा लगती है। जिसमें कमेरी, टिकर, सेलागुडा, गुणिया, डेगाना आदि शामिल है। इसी के साथ ही छोटी-बडी सात पहाडिय़ों को पार करने के बाद माताजी की मूर्ति एवं भव्य न्दिर के दर्शन होते हैं। इसलिए माता जी का नामकरण सीम माता के रूप में हुआ।

चैत्र एवं शारदे दोनों नवरात्र में होते हैं धार्मिक कार्यक्रम

9 दिन के नवरात्रि के समापन पर अंतिम दिवस जवारा विसर्जन कार्यक्रम पर श्रद्धालु मंदिर के पीछे से करीब 3 किलोमीटर नीचे की ओर वेवर माता मंदिर की गुफा है। वे वहां पहुंचते हैं। उस गुफा में भी माताजी का मंदिर है तथा वहां पर भी घट स्थापना होती है। नौ दिन तक पूजा पाठ होती है। यहां से भी श्रद्धालु के द्वारा बोए गए जवारा को भी साथ में लेकर 1 किलोमीटर नीचे की ओर नरबेला सरोवर के नाम से एक तालाब है उसे तालाब मंदिर के पुजारियों, भोपाजी, श्रद्धालु के द्वारा विधि विधान पूर्वक जवारा विसर्जन करते हुए नवरात्रि का समापन किया जाता है। इस महादेव माताजी के गुफा जो मन्दिर से शुरू होकर 10 किमी दूर आमेट के प्रसिद्ध वेवर महादेव मंदिर के यहां निकलती है। पूर्व में इस गुफा का उपयोग संत, महात्मा, पुजारी तथा युद्ध के दौरान राजा- महाराजाओं द्वारा किया जाता था।

अरावली की स्वर्ण शैल नामक पहाड़ी पर विराजित है अन्न-धन व जल की दाता मां अन्नपूर्णा

October 5, 2024

You May Also Like👇

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *